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डिजिटल एडिक्शन युवाओं के भविष्य के लिए खतरा : प्रो.अजय प्रताप सिंह

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में बुधवार को वेलनेस सेंटर एवं व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में डिजिटल एडिक्शन विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य युवाओं में तेजी से बढ़ रही मोबाइल और इंटरनेट की लत के दुष्परिणामों पर जागरूक करना था। कार्यशाला में मुख्य वक्ता वेलनेस सेंटर के समन्वयक प्रो.अजय प्रताप सिंह ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी मोबाइल की लत में अपने जीवन का अमूल्य समय गंवा रही है। किसी भी चीज की लत तब खतरनाक हो जाती है जब वह व्यक्ति के नियंत्रण से बाहर हो जाए। उन्होंने बताया कि मोबाइल पर रील्स या गेम्स देखने के दौरान मस्तिष्क से डोपामाइन हार्मोन स्रावित होता है, जिससे क्षणिक खुशी तो मिलती है लेकिन यही प्रक्रिया धीरे-धीरे लत में बदल जाती है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि जीवन की सच्ची खुशी अच्छे कार्यों और रचनात्मक गतिविधियों में खोजी जानी चाहिए। अनुप्रयुक्त सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय के अध्यक्ष प्रो.मनोज मिश्र ने कहा कि युवा आज मोबाइल की आभासी दुनिया में भटक रहा है, जिससे वास्तविक जीवन से उसका जुड़ाव कम होता जा रहा है। वेलनेस सेंटर की नोडल अधिकारी डॉ.अन्नू त्यागी ने कहा कि युवाओं की ऊर्जा और समय ही देश के विकास की धुरी है। यदि यह ऊर्जा डिजिटल एडिक्शन में नष्ट होगी तो राष्ट्र निर्माण बाधित होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि मोबाइल पर अनावश्यक समय गंवाने के बजाय इसे रचनात्मक कार्यों में लगाएं। व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.जान्हवी श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि यदि उनमें डिजिटल एडिक्शन के लक्षण हैं, तो घबराने के बजाय परामर्श (काउंसलिंग) लें और समय का सदुपयोग करें। कार्यक्रम के दौरान छात्रों को डिजिटल एडिक्शन पर आधारित एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया, जिससे उन्हें इस समस्या को गहराई से समझने का अवसर मिला। कार्यक्रम का संचालन डॉ.दिग्विजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर डॉ.चंदन सिंह, डॉ.अमित मिश्र, अर्पित यादव, आनंद सिंह समेत बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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