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Homeअपना जौनपुरघर-घर पहुंच रहा पॉलीथिन, प्रशासन बना मूकदर्शक

घर-घर पहुंच रहा पॉलीथिन, प्रशासन बना मूकदर्शक

  • दुर्गंध व बिमारियों का कारण बन रही नालियां व जाम सीवर
  • कूड़े के ढेर में फेकी पॉलीथिन से जानवर हो रहे बीमार
  • अधिकारियों की शिथिलता के कारण ठंडे बस्ते में चला गया सिंगल यूज प्लास्टिक अभियान

जौनपुर धारा, जौनपुर। सरकार सिंगल यूज पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाकर उत्तर प्रदेश को वर्ष 2022 तक पॉलिथीन मुक्त बनाना चाह रही थी लेकिन पॉलीथिन बनाने वाली कंपनियों से लेकर व्यापारी तक सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे और शहर से लेकर गांव तक सभी दुकानों पर पॉलीथिन का प्रयोग धड़ल्ले से जारी है। पॉलीथिन की बिक्री एवं इस्तेमाल पर रोक के लिए जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर अभियान चलाया जाता है लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पाँत ही रहता है।

प्रशासन की लापरवाही से व्यापारी धड़ल्ले से पॉलीथिन को घर घर पहुंचा रहे हैं जिसका नतीजा यह हुआ कि आज हर गली मुहल्ले की नालियां एवं सीवर जाम होने लगे हैं। वहीं अगर देखा जाय तो देश की बड़ी-बड़ी कम्पनियां अपने प्रोडक्ट को प्लास्टिक पैकेजिंग कर पर्यावरण को बड़े स्तर पर प्रभावित कर रही हैं। लोकल स्तर पर कभी-कभी प्रशासन द्वारा खोमचे-ठेले वालों पर जुर्माना लगाकर खानापूर्ति कर ली जाती है लेकिन बड़ी कम्पनियों के खिलाफ सरकार द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया जाता। कूड़े के ढेर में फेंकी गई पॉलीथिन से जहां जानवर बीमार होने लगे वहीं इसके इस्तेमाल से पर्यावरण प्रदूषित होने लगा है। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए 2 अक्टूबर 2019 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया था। नगर विकास विभाग ने वर्ष 2000 में ‘उत्तर प्रदेश प्लास्टिक अन्य-जीवअनाशित-कूड़ा-कचराअधिनियम’ लागू किया था जिसके तहत 20 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया गया लेकिन पर्यावरण विभाग ने 50 माइक्रॉन से कम पॉलीथिन को पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया। पॉलीथिन में सामान लेना हर व्यक्तियों के लिए आसान हो गया है।

मौजूदा समय में सब्जी, फल, कपड़ा, किराना दवा सहित अन्य जगहों पर भी पॉलीथिन का खुलेआम प्रयोग होता है। हर व्यक्ति के लिए उसमें समान लेना सुविधाजनक होता है। इस संबंध में नगर पालिका परिषद के अधिकारी एवं जिला प्रशासन द्वारा बैठक कर इसको तीन चरणबद्ध तरीके से रोक लगाने की योजना बनाई गई किंतु अधिकारियों की शिथिलता के कारण यह अभियान ठंडे बस्ते में चला गया। प्रथम चरण में जनमानस के अंदर जागरूकता लाने तथा इसके उपयोग से होने वाले पर्यावरण के नुकसान के बारे में जानकारी शामिल थी। दूसरे चरण में पॉलीथिन विक्रेताओं के ऊपर लगाम कसना, तथा जुर्माना लगाना शामिल था। तीसरे चरण में पॉलीथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना शामिल था जिससे शहर में होने वाली गंदगी एवं नालियां, सीवर को जाम से छुटकारा मिल सके। ज्ञात हो की सरकार ने 50 माइक्रॉन से कम वजन की पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा दिया है तथा इसको इस्तेमाल करने एवं पकड़े जाने पर 50000 तक का जुर्माना भी लगा दिया है एवं छह माह की सजा भी निर्धारित कर दी फिर भी दुकानदार बेधड़क पॉलीथिन का इस्तेमाल कर सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और अधिकारी केवल कागजी कार्रवाई कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं।

  • देश स्तर की बड़ी कम्पनियां भी है जिम्मेदार

जौनपुर। शहर से लेकर गांव तक देश स्तर पर छोटी से लेकर बड़ी कम्पनियों तक के प्रोडक्ट्स धड़ल्ले से प्लास्टिक पैकेजिंग कर अपने उत्पादों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। आये दिन अभियान चलाकर छोटे-मोटे व्यवसायियों पर जुर्माना लगाकर नियम कानून थोप दिया जाता है लेकिन प्रशासन की नजर उन प्रोडक्टों पर नहीं पड़ी जो बड़े पैमानों पर प्लास्टिक का यूज कर धड़ल्ले से वातावरण को दूषित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। प्रमाण के रूप में बड़ी कम्पनियों के बिस्कट्स, चिप्स, नमकीन, मसाला, डाइपर, रिफाइन, डालडा, पान मसाला और पीने का स्वच्छ पानी सहित आदि को सार्वजनिक रूप से बाजारों में बिकते हुए देखा जा सकता है।

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