जौनपुर धारा, जौनपुर। सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस मंगलवार को मनाया गया। रासमंडल स्थित गुरुद्वारा में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया तथा ओलंदगंज स्थित श्री सुंदर गुरुद्वारा में कच्ची लस्सी का वितरण भी किया गया। गुरु अर्जुन देव के बारे में बताया जाता है कि लाहौर में मुगल बादशाह जहांगीर ने घोर शारीरिक यातनाएं देकर इनसे जबरदस्ती इस्लाम धर्म अपनाने को कह रहा था लेकिन उन्होंने इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया तब मुगल बादशाह ने गर्म तवे पर बैठाकर उनके ऊपर गर्म बालू के रेतों से नहलाने का आदेश दिया। गर्म बालू के रेत से नहलाने के कारण इनके शरीर में जगह-जगह पर छाले पड़ गए थे फिर भी उन्होंने इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया। तब मुगल बादशाह ने खिसिया कर इनके शरीर के ऊपर जीवित गाय की हत्या कर उसके खाल को लपेटने का आदेश दे दिया। तब गुरु अर्जुन देव सिंह ने सोचा कि मेरी वजह से एक निरीह गाय की भी हत्या हो जाएगी तो उन्होंने मुगल बादशाह से कहा कि मुझे तो मरना ही है लेकिन मेरी एक इच्छा है कि मुझे रावी नदी में स्नान करने दिया जाए जिससे मेरे शरीर में पड़े छालों को ठंडक पहुंचे। तब मुगल बादशाह ने सैनिकों की घेराबंदी में इन्हें रावी नदी में नहाने करने की इजाजत दे दी। गुरु अर्जुन देव का शिष्य एक मुसलमान था जो अपने गुरु की दुर्दशा देखकर आंसू बहा रहा था। तब उन्होंने उसे अपने पास बुलाकर कहा कि मेरी मौत के बाद तुम मेरे नाम की कच्ची लस्सी (जिसमें दूध, चीनी, बर्फ व गुलाब की ठंडई) सभी को पिलाना जिसकी ठंडक से मुझे राहत पहुंचेगी। यह बात अपने मुसलमान शिष्य को बता कर अर्जुन देव सिंह ने सैनिकों की मौजूदगी में रावी नदी में अपने आपको विलीन कर लिया तभी से कच्ची लस्सी पिलाने की परंपरा अभी तक चली आ रही है। ओलंदगंज स्थित श्री सुंदर गुरुद्वारा के ग्रंथी की देख रेख में सतनाम सिंह, प्रिंस सिंह, कमल सिंह भाटिया, सतनाम सिंह द्वितीय सहित सिख धर्म के अन्य लोगों ने कच्ची लस्सी वितरण में अपना सहयोग दिया।
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गुरू अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर कच्ची लस्सी का हुआ वितरण

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