- सिटी रेलवे स्टेशन पर नियम विरूद्घ ट्रेक पार कर एक से दूसरे प्लेटफार्म पर जाती दिखी जीआरपी पुलिस
जौनपुर। रेलवे पुलिस भले ही दूसरों को रेवले के नियम कानून का पाठ पढ़ाती हो, लेकिन जब खुद के अमल की बारी आती है, तो नियम और कानून दोनो ही ताख पर रख दिया जाता है। जबकि गैरकानूनी काम करने वाला हर व्यक्ति गलत होता है, फिर भले ही वो रेलवे अधिकारी या पुलिसकर्मी ही क्यों नो शामिल हों। जो सिपाही दूसरों को नियम सिखाते हैं, यदि वे स्वयं ट्रैक पार करके प्लेटफॉर्म बदलते हैं, तो वे न केवल अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, बल्कि स्वयं भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में आते हैं। जौनपुर के सिटी रेलवे स्टेशन पर जीआरपी/आरपीएफ के सिपाही का रेलवे ट्रेक के जरिये एक प्लेटफार्म के माध्यम से दूसरे प्लेटफार्म तक जाने का दृष्य जौनपुर धारा संवाद्दाता के कैमरे में कैद हो गया। जबकि उसके ठीक बगल में ही प्लेटफार्म पार करने के लिये ओरवब्रीज भी बना हुआ है। रेलवे पुलिस ही जब नियम के विरूद्घ काम करेगी तो, दूसरों को भला कैसे ऐसे कृत्य से रोक पायेगी। यह चिन्तनीय विषय है। रेलवे नियमों के अनुसार, आम जनता के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए भी अनाधिकृत रूप से रेलवे ट्रैक पार करना प्रतिबंधित है। रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 147 के तहत, रेलवे ट्रैक या परिसर में अनाधिकृत प्रवेश या उन्हें पार करना एक दंडनीय अपराध है। ऐसा करने पर 6महीने तक की कैद या 1000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। नियम की माने तो सभी यात्रियों और कर्मचारियों को सुरक्षित यात्रा के लिए हमेशा निर्दिष्ट फुट-ओवर-ब्रिज, सबवे या निर्धारित क्रॉसिंग का उपयोग करना चाहिए, चाहे वे रेलवे सुरक्षा बल के हों या राजकीय रेलवे पुलिस के, ड्यूटी पर होने पर भी सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। यहां तक कि ड्यूटी पर होने पर भी रेलवे ट्रैक को सुरक्षित तरीके से ही पार किया जा सकता है, न कि लापरवाही से।



