कन्नौज में कम नहीं हो रहा बंदरों और कुत्तों का आतंक

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कन्नौज. जनपद के समाहरणालय परिसर में बंदरों और कुत्तों की भरमार है. समाहरणालय परिसर के एडीएम कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में बंदर दिखाई देते हैं. यही नहीं पूरे समाहरणालय परिसर में बंदर और कुत्ते चारों तरफ घूमते हैं. ऐसे में यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में आने वाले लोगों के ऊपर खतरा बना रहता है कि न जाने कब यह बंदर और कुत्ते हिंसक हो जाएं. वहीं जिम्मेदार इस मामले में हाथ पर हाथ डालकर बैठे हैं.

ताज़ा मामला काशीराम कालोनी के पास से सामने आया यहां आवारा कुत्तों ने 13वर्षीय मासूम बच्चे को नोच नोच कर मौत के घाट उतार दिया. जिले में आवारा कुत्ते और बंदरों की भरमार है. कुत्ते मोहल्लों से निकलने वाली बाइकों के पीछे दौड़ लगाते हैं. इससे सड़कों पर आए दिन बाइक फिसलने की दुर्घटनाएं हो रही हैं. बंदर गली मोहल्लों के साथ साथ सार्वनिक क्षेत्रों पर झुंडों में घूमते नजर आते हैं.शहर में कुत्तों के साथ बंदरों का भी आतंक है. जिले में रोज करीब 100 से अधिक लोग आवारा कुत्ते और बंदरों का शिकार हो रहे हैं. जिला अस्पताल में पिछले महीने कुत्ते और बंदरों से घायल 1540 मरीजों के एंटी रेबीज लगाए गए हैं. 1 अप्रैल से अब तक 336 मरीज जिला अस्पताल में कुत्तों और बंदरों के काटने के बाद पहुंचे हैं. पीड़ित सौरभ ने बताया कि आवारा कुत्तों की संख्या बहुत है. हद तो यह है की ग्रामीण क्षेत्रो के सरकारी अस्पतालों में रेबीज इंजेक्शन नहीं है. जिस कारण हमको यहां आना पड़ा. कुत्तो से बचने का कोई उपाय नही किया गया है. इनको पकड़ने वाला कोई नही आता है. अप्रैल माह की बात किया जाए तो अब तक 20 अप्रैल को 65 मरीज, 19 अप्रैल को 42 मामले, 18 अप्रैल को 58 मरीज, 17 अप्रैल को 78 मरीज,15 अप्रैल को 45 मरीज, 14 अप्रैल को 41 मरीज अस्पताल में पहुंचे. मामले पर नगर पालिका की अधिशासी अभियंता नीलम चौधरी ने बताया कि आवारा कुत्तों को पकड़ना थोड़ा सा कठिन कार्य होता है. क्योंकि कुत्तों में पहले पशुपालन विभाग के द्वारा एक इंजेक्शन लगाया जाता है. इसके बाद उनको बेहोशी की हालत में पकड़ा जा सकता है, ऐसे में पशुपालन विभाग से संपर्क करने की कोशिश लगातार की जा रही है और इस समस्या का निदान जल्द से जल्द करा दिया जाएगा.

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