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छितौना गांव में आयोजित हुई सम्मान समारोह

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Homeअपना जौनपुरऋषियों, मुनियों, साधु, संतों की समृद्ध परम्परा का देश है भारत

ऋषियों, मुनियों, साधु, संतों की समृद्ध परम्परा का देश है भारत

जौनपुर। जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के मुख्यालय मथुरा से उसके अध्यक्ष संत पंकज महाराज के सानिध्य में जिला जौनपुर अन्तर्गत चल रही 122 दिवसीय शाकाहार-सदाचार मद्यनिशेध आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा कल सायंकाल अपने इकसठवें पड़ाव आजाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय के निकट कुम्भी मोकलपुर पहुंची। यहां आयोजित सत्संग सभा को सम्बोधित करते हुये पंकज महाराज ने कहा भारत वर्श अनादि काल से ऋशियों, मुनियों, साधु, संतों की समृद्ध परम्परा का देष रहा। महापुरुशों ने इसकी परम्परा इसलिये चालू करवाई थी ताकि लोग अपनी धार्मिकता, सामाजिक व्यवहार, समरसता, परस्पर प्रेम-सौहार्द, सद्भाव, परोपकार को याद रखें। वर्तमान में यह परम्परायें प्रभावित हो रही हैं। उनसे हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। सबसे पहली आवश्यकता खान-पान को ठीक करना है। युग महापुरुष परम संत बाबा जयगुरुदेव महाराज ने आजीवन अथक परिश्रम करके बीसों करोड़ लोगों का हृदय परिवर्तन किया और उन्हें भगवान के भजन में लगा दिया। चौरासी लाख योनियों में मानव योनि सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इसमें भगवान की प्राप्ति का रास्ता है। जिसका भेद संत महात्मा जानते हैं। आपको उत्तम से उत्तम मानव शरीर मिल गया है। जिसे सुरत शब्द योग साधना और गुरु कृपा से खोला जा सकता है। आपको इस साधना के लिये सुमिरन जिसमें नाम का मौन जाप, ध्यान जिसमें केन्द्रित होकर दिव्य दृष्टि को खोलना, तीसरा भजन जिसमें दिव्य कान के द्वारा प्रभु के देष से आने वाली देववाणी को सुनने का तरीका बताया गया। रास्ता बिल्कुल सच्चा है आप करेंगे तो अनुभव होगा। उन्होंने कहा कि हम लोगों को शाकाहार अपनाने, शराब आदि नषों को त्यागने तथा आंखों में मां, बहन, बेटी की पहचान कायम करने की प्रेरणा देने निकले हैं, जिससे अच्छे समाज का निर्माण हो सके। इस अवसर पर संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, आश्रम के प्रबन्धक सन्तराम चौधरी, बिहार प्रदेश के अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, दिल्ली प्रदेष के अध्यक्ष विजय पाल सिंह, संगत के अध्यक्ष ऋषिदेव श्रीवास्तव, बालेन्द्र मिश्र, चन्द्र प्रकाश जायसवाल, प्रधानाचार्य संतोश सिंह, राधेकृष्ण सिंह, राजेश मिश्रा, धर्मराज जायसवाल, सहयोगी संगत बस्ती के रामउजागिर चौधरी सहित आदि उपस्थित रहें।

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