इस प्राचीन मंदिर में रात को घूमती है काली मां

0
  • सुनाई देती है मां के पायलों की आवाज

मेरठ:यूं तो मेरठ के सभी मंदिरों के प्रति भक्तों की अनोखी आस्था देखने को मिलती है. जहां सभी की मुरादें पूरी होती हैं. लेकिन मेरठ के सदर स्थित मां काली मंदिर के  प्रति भक्तों की एक अलग ही आस्था देखने को मिलती है. भक्तों का कहना है कि  मां काली से वह जो भी मांगते हैं. उनकी सभी मुरादे पूरी होती है. यहीं नहीं विपरीत परिस्थितियों में भी मां काली भक्तों के साथ खड़ी हुई दिखाई देती. नवरात्रों में जहां यहां देश भर के श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं अगर हर रोज की बात की जाए तो बड़ी संख्या में यहां आपको भक्त मां काली की विधि विधान के साथ पूजा करते हुए दिखाई देंगे.

मंदिर के पुजारी सुधीर बनर्जी ने बताया कि वह दसवीं पीढ़ी है. उनका बेटा 11वीं पीढ़ी है. जो मंदिर में इसी तरीके से मां काली की पूजा अर्चना करते हुए आ रहे हैं. वह बताते हैं कि उनके पूर्वजों द्वारा इस स्थान पर तपस्या की गई थी. इसके पश्चात मां काली ने दर्शन दिए थे. जब उन्होंने यहां पर बने हुए कुएं की सफाई करवाई तो मां शीतला माता और मां काली की पिंडी विरजमान हुई. इसके पश्चात मां काली की भव्य मिट्टी की मूर्तियां बनवाई गई. यही नहीं उन्होंने बताया कि मां काली जहां विरजमान है. वहां पंचमुंड भी स्थापित है.इतना ही नहीं रात को 2:00 बजे के बाद मां काली मंदिर परिसर में घूमती है. उनके घुंघरू की आवाज हर किसी को सुनाई देती है.

जो भी मांगा देती है मां

मंदिर में आई भक्त सुप्रिया ने बताया कि मां काली से उन्होंने आज तक जो भी मांगा है. उनकी सभी मुराद पूरी हुई है. वह पिछले 18 वर्षों से मंदिर में लगातार आ रही है. इसी तरीके से मंदिर में ही सौरभ ने बताया कि मां काली जिसे अपने दर्शन के लिए बुलाती है. वही दर्शन कर पता है. वह भी पिछले कई वर्षों से मां के दर्शन करते आ रहा है. यह मंदिर इतना चमत्कारी है कि जो भी मांगते हैं. वह मिलता है.

शमशान घाट हुआ करता था

बताते चलें कि मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार गजट में इस मंदिर को 650 साल पूरे हो चुके हैं. कभी पूरा सदर क्षेत्र शमशान घाट हुआ करता था. लोग यहां आने से डरते थे. लेकिन जब मां काली का मंदिर यहां बना तो धीरे-धीरे लोगों ने यहां आना भी शुरू किया.

Share Now...

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here