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कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सम्पन्न हुई प्रारंभिक परीक्षा

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इधर अल-असद भागे, उधर विद्रोहियों ने तोड़ दिए जेल के ताले…

हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में सशस्त्र सीरियाई विद्रोहियों ने जेलों में बंद निर्वासित राष्ट्रपति बशर अल-असद द्वारा हिरासत में लिए गए सैकड़ों कैदियों को रिहा कर दिया. इन जेलों को ‘सीरिया का कसाईखाना’ कहा जाता है.

जैसे ही विद्रोही पूरे सीरिया में फैले, उन्होंने 2011 में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत के बाद से असद द्वारा हिरासत में लिए गए राजनीतिक कैदियों को आजाद करने के लिए जेलों के ताले तोड़ दिए क्योंकि उनकी सुरक्षा में तैनात सरकारी अधिकारी भाग चुके थे. जेल से आजाद किए गए लोगों में वे लोग शामिल थे जिनके बारे में माना जाता है कि वे गायब हो गए थे. 63 वर्षीय बशर बरहौम को लेकर यह माना जाता था कि सात महीने की कैद के बाद उन्हें फांसी दे दी गई थी. एक लेखक बरहौर्म को यह समझने में कुछ मिनट लग गए कि जो लोग उनकी कोठरी में घुसे, वे असद के आदमी नहीं बल्कि विद्रोही थे जो उन्हें आजाद कराने आए थे. जेल से बाहर आकर बरहौर्म ने दमिश्क की सड़कों पर असद के तख्तापलट का जश्न मना रहे लोगों को देखने के बाद न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस को बताया, ‘मैंने आज तक सूरज नहीं देखा. मरने के बजाय, ईश्वर का शुक्र है, उसने मुझे एक नया जीवन दिया.

‘ह्यूमन स्लॉटरहाउस’ से आजाद हुए कैदी

दमिश्क के उत्तर में स्थित सैयदनाया मिलिट्री जेल को ‘ह्यूमन स्लॉटरहाउस’ के रूप में जाना जाता है. जैसे ही विद्रोहियों ने जेल में प्रवेश किया, महिलाएं और उनके बच्चे सहित कैदी डर के मारे चिल्लाने लगे.  एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 और 2016 के बीच 13,000 सीरियाई मारे गए, क्योंकि हर हफ्ते दर्जनों को गुप्त रूप से मार डाला जाता था.

‘डरो मत, बशर असद गया’

एक विद्रोही सेनानी ने सैकड़ों महिलाओं को उनकी खचाखच भरी छोटी-छोटी कोठरियों से बाहर निकालने की कोशिश करते हुए कहा, ‘डरो मत. बशर असद गया! तुम डरती क्यों हो?’ एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार समूहों का कहना है कि सीरियाई जेलों में राजनीतिक कैदियों के खिलाफ यातना, फांसी और भुखमरी का इस्तेमाल ‘व्यवस्थित तरीके’ से इस्तेमाल किया जाता है.

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