संगमनगरी के लाल यश दयाल इन दिनों अपने शहर प्रयागराज में हैं। चकिया कर्बला की एक तंग गलियों से निकलकर इंडियन प्रीमियम लीग और भारतीय क्रिकेट टीम तक अपनी जगह बनाने वाले यश दयाल का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। रविवार को उनसे हुई खास मुलाकात में क्रिकेट से जुड़े कई पहलुओं पर बात हुई। यह सफर बेहद उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कई बार मनोबल टूटा। छोटी-छोटी सफलताओं से हौसला मिला। क्रिकेट को एक जुनून की तरह खेला और पूरी ईमानदारी के साथ क्रिकेट को ही अपने कॅरियर के रूप में देखा। खट्टी-मीठी यादें हैं। परिवार, कोच और यूपीसीए ने बहुत हौसला दिया। अपनी मेहनत, जिद और जुनून में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी। अंत में जो सपना देखा था उसके बेहद करीब हूं। भारतीय टीम की जर्सी पहन खेलने का सपना पूरा होने ही वाला था कि भगवान ने थोड़ा और इंतजार कराना बेहतर समझा। खैर अब खुद को फिट करके इस सपने को पूरा करने की दिशा में काम कर रहा हूं। आईपीएल एक बड़ा प्लेटफार्म है, जहां पर जाना हरगिज आसान नहीं होता है। मेरा पहला संस्करण बहुत ही शानदार रहा है। कई बड़े खिलाड़ी हैं, जो आईपीएल की ट्राफी को उठाना चाहते हैं लेकिन उनका यह सपना अधूरा है। मैं खुशकिस्मत हूं कि पहली ही बार में आईपीएल की विजेता टीम में शामिल रहा और उस टीम की जीत में अपना भी योगदान दिया है।