- सावन बीतने को है, लेकिन खेतों में नहीं बरसी राहत की बूंदें
जौनपुर। सावन का महीना अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है, लेकिन आसमान से राहत की एक भी सधी हुई बारिश नहीं बरसी है। ग्रामीण क्षेत्रों के कच्चे संपर्क मार्गों पर धूल उड़ रही है, और धूप-उमस ने किसानों की हालत खस्ता कर दी है। अनावर्षण के चलते धान की रोपाई जहां एक ओर गंभीर रूप से बाधित हो गई है, वहीं बिजली की अनियमित आपूर्ति ने किसानों की कमर तोड़ दी है। जहां कुछ किसान किसी तरह नर्सरी तैयार कर, इधर-उधर से पानी की जुगत लगाकर धान की रोपाई में लगे हैं, वहीं अधिकांश किसान बिजली और डीजल की महंगाई के कारण खेतों में पानी तक नहीं पहुंचा पा रहें। जिन किसानों ने पहले ही धान की रोपाई कर दी थी, अब उनके खेतों में पानी के अभाव में दरारें पड़ने लगी हैं। यदि शीघ्र बारिश नहीं हुई, तो फसल सूखने की नौबत आ जाएगी। किसान ने बताया, हम दिन-रात धूप में तपकर खेतों में लगे हुए हैं, लेकिन ना पानी है, ना छांव। बिजली कभी आती है, कभी नहीं। डीजल इतना महंगा हो गया है कि इंजन चलाना भी मुश्किल हो गया है। बिजली विभाग की लापरवाही ने हालात और बदतर बना दिए हैं। किसान बिजली के इंतजार में रातें गुजार रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें समय पर सप्लाई नहीं मिल रही। नहरों में भी पर्याप्त पानी नहीं है, जिससे सिंचाई का एक और रास्ता बंद हो गया है। इस स्थिति में भी नेता और अधिकारी किसानों की सुध लेने के बजाय एसी कमरों में बैठकर महंगे वाहनों में घूमते नजर आ रहे हैं। धरातल पर कोई राहत योजना नज़र नहीं आ रही है। किसान बारिश के आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठा है, लेकिन मौसम भी लगातार धोखा दे रहा है। अगर आने वाले दिनों में हालात ऐसे ही बने रहे, तो जिले में धान उत्पादन में भारी गिरावट तय मानी जा रही है, जिसका असर आम जनजीवन और अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ेगा।