- 8 सालों से नहीं हुई टीचर्स की भर्ती, खतरे में बच्चों का भविष्य
मुरादाबाद: अगर आप भी राजकीय आईटीआई में प्रवेश लेने का विचार बना रहें हैं. तो आपके लिए यह खबर बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है. यहां आपको उन अध्यापकों से अपनी ट्रेड की पढ़ाई करनी होगी. जिन्हें खुद उस ट्रेड का ज्ञान नहीं है. यानी कि आईटीआई में दाखिला लेने का मतलब है कि आपकी पढ़ाई रामभरोसे होगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां पढ़ने के लिए तो 22 ट्रेड उपलब्ध है. मगर अध्यापक सिर्फ आठ ट्रेड के ही उपलब्ध हैं. ऐसे में मोटर मैकेनिक ट्रेड के अध्यापक प्लास्टिक प्रोसेसिंग पढ़ा रहें हैं.
अब इन विद्यार्थियों को भविष्य भगवान भरोसे ही कह सकते हैं. लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने इन समस्याओं को देख कर भी अनदेखा कर रखा है. दरअसल, कांठ रोड स्थित राजकीय आईटीआई में 400 विद्यार्थियों का पंजीकरण है. यहां विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए 22 ट्रेड उपलब्ध है. लेकिन, यहां सिर्फ आठ अध्यापक हैं. मानक के अनुसार 20 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक होना अनिवार्य है. लेकिन, यहां तो 50 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक उपलब्ध है. यहां हालात इतने खराब है कि अध्यापक उन ट्रेड के विद्यार्थियों को पढ़ा रहें हैं. जिनका उन्हें खुद ज्ञान नहीं है. यहां मौजूद मैकेनिक ट्रेड के अध्यापक है. प्लास्टिक प्रोसेसिंग पढ़ा रहें हैं. यही हाल मोटर मैकेनिक के अध्यापक का है. उन्हें भी अध्यापकों की कमी की वजह से डीजल मैकेनिस्ट ट्रेड पढ़नी पड़ रही है. वहीं कटिंग स्विंग ट्रेड की अध्यापिका इसके साथ फैशन, बेसिक कॉस्मेटोलॉजी भी पढ़ा रहीं है. जबकि ड्रॉइंग मैथ स्ट्रीम के अध्यापक भी आरएसी, ड्राफ्टसील्ड पढ़ रहें हैं. वायर मैन ट्रेड के अध्यापक भी पेंटर और ट्रनर ट्रेड के विद्यार्थियों को पढ़ाना पड़ रहा है. अध्यापकों की कमी होने की वजह से विद्यार्थियों को मन पंसद ट्रेड लेने में परेशानी होती है. अध्यापक की चुनिंद ट्रेड के हैं. इन हालातो में जिन अध्यापकों को खुद दूसरी ट्रेड का पूर्ण ज्ञान नहीं हैं. उनसे विद्यार्थियों को पढ़वाकर उनके भविष्य के साथ खिलबाड़ हो रहा है. वहीं अध्यापकों पर भी अधिक कार्यभार डाला जा रहा है. लेकिन, शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने इसे देख कर भी अनदेखा कर रखा है. उत्तर प्रदेश सरकार भले ही शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए लाख प्रयास कर रहीं हो. मगर धरातल पर स्थितियां बहुत गंभीर है. प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा तीनों में ही अध्यापकों की कमी ने पढ़ाई के लाख दावों को विफल बना दिया है. राजकीय आईटीआई में पढ़ाने वाले अध्यापकों ने बताया कि यहां पिछले आठ साल से नई अध्यापकों की नियूक्ती नहीं हुई है. जिस वजह से विद्यार्थियों के साथ अध्यापकों को भी अधिक कार्यभार अपने कंधों पर लेने पड़ता है. जिसका असर विद्यार्थियों के भविष्य पर पढ़ रहा है. राजकीय आईटीआई के प्रधानाध्यापक ने बताया कि राजकीय आईटीआई में अध्यापकों की कमी लंबे समय से है. जिससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यहां करीब 20 से 30 अध्यापकों के रिक्त स्थान है. शिक्षा विभाग को पत्र लिखाकर अध्यापकों की मांग की जाएगी. जिससे विद्यार्थियों को बेहतर भविष्य मिल सके.