जौनपुर धारा, जौनपुर। सरकार ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। जिसके विरोध में जौनपुर में सीपीआईएम कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को डीएम कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। निजीकरण से किसानों की मुफ्त बिजली और लघु उद्योगों की सस्ती बिजली योजना प्रभावित होगी। साढ़े सात हॉर्स पावर ट्यूबवेल कनेक्शन का मासिक बिल 10,000 रुपये तक जा सकता है। डीएम कार्यालय पर किया धरना-प्रदर्शन वर्तमान में यूपी के सरकारी विभागों पर 5000करोड़ का बिजली बिल बकाया है। लखनऊ नगर निगम पर 5.14करोड़, राज्य सम्पति विभाग पर 245करोड़, विधायक आवासों पर 38लाख और एक डीजीपी आवास पर 7लाख रुपये बकाया है। निजीकरण के तहत प्रदेश के 41जिलों की बिजली वितरण व्यवस्था पांच अलग-अलग कंपनियों को दी जाएगी। प्रत्येक कंपनी को 30-35लाख उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी मिलेगी। यह फैसला कुल डेढ़ करोड़ उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा। इस निर्णय से 30,000स्थायी कर्मचारियों का भविष्य प्रभावित होगा। इनमें 7चीफ इंजीनियर प्रथम श्रेणी और 33 चीफ इंजीनियर द्वितीय श्रेणी हैं, साथ ही 144एसएई, 507एक्जीक्यूटिव इंजीनियर और 1,532 इंजीनियर भी प्रभावित होंगे। बाकी 27,818 स्थायी कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति या वीआरएस का विकल्प दिया जाएगा। 50,000 से अधिक संविदाकर्मियों का भविष्य भी अनिश्चित है।
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बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में किया प्रदर्शन
