जौनपुर धारा, मुंगराबादशाहपुर। भारतीय समाज में अनेक प्रथाएं प्रचलित हैं पहले इस प्रथा के प्रचलन में भेंट स्वरूप बेटी को उसके विवाह पर उपहार स्वरूप कुछ दिया जाता था परन्तु आज दहेज प्रथा एक बुराई का रूप धारण करती जा रही है। दहेज के अभाव में योग्य कन्याएं अयोग्य वरों को सौंप दी जाती हैं । उक्त बातें मुंगराबादशाहपुर के गुड़हाई मोहल्ला में आयोजित दहेज प्रथा अभिशाप संगोष्ठी में बीएड छात्रा प्रियंका गुप्ता ने कहीं। आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान भारतीय समाज में जो कुप्रथाएं प्रचलित हैं, उनमें सर्वाधिक बुरी प्रथा है- दहेज प्रथा। जिसके कारण आम भारतीय त्रस्त, आशंकित एवं कुण्ठित हो रहा है। निश्चय ही दहेज प्रथा एक ऐसी अभिशाप बन गई है जो निरन्तर विकट रूप धारण करती जा रही है तथा प्रतिदिन अनेक युवतियाँ दहेज की बलिवेदी पर अपना बलिदान देने को विवश हो रही हैं। वक्ताओं ने आगे कहा कि प्राचीन भारत में भी दहेज प्रथा थी, किन्तु तब की स्थिति दूसरी थी। तब वह स्वेच्छा से दिया जाने वाला स्त्रीधन था, जो कन्या को उपहार में मिलता था। युवक अपनी नई गृहस्थी बसाते थे, वे गृहस्थ जीवन का सरलता से संचालन कर सकें अत: उन्हें आवश्यक वस्तुएं भी उपहार में दी जाती थीं।किन्तु कालान्तर में इसका स्वरूप बदल गया और वर्तमान समय में तो यह दहेज प्रथा समाज का कोढ बन गई है। इस अवसर पर ज्योति, माया, पूजा, रोशनी, रागिनी, रानी ,शिखा प्रिया व अनुप्रिया आदि लोगों ने उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन अनुपमा साहू ने किया।
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दहेज प्रथा सामाजिक कलंक है: प्रियंका गुप्ता

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