अगर आप मेट्रो सिटी में रहते हैं या कभी मेट्रो सिटी का दौरा किया है तो अपने मेट्रो को तो जरूर देखा होगा. हो सकता है कि इसमें सफर भी किया हो. आपने देखा होगा मेट्रो जमीन पर, पुल के ऊपर और अंडरग्राउंड चलती है. यह आम सी बात है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर मेट्रो पानी के अंदर चलने लगे? सोचा हो या नहीं इसका तो कुछ कह नहीं सकते लेकिन यह जरूर बता सकते हैं कि अंडरवाटर मेट्रो की टेक्नोलॉजी आ चुकी है. दिलचस्प बात यह है कि यह अंडरवाटर मेट्रो अपने देश में ही चलने वाली है. आइए आज की खबर में इस बारे में डिटेल में जानते हैं.
कोलकाता में बनेगी अंडरवाटर मेट्रो
भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो कोलकाता में आने वाली है. अनुमान लगाया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा. कोलकाता ईस्ट-वेस्ट की यह मेट्रो लाइन हुगली नदी के नीचे से गुजरेगी. अंडरवाटर टनल की लंबाई लगभग पांच सौ मीटर तक होगी. बता दें कि 2006-2007 में कोलकाता मेट्रो का ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर पर काम शुरू हुआ था. यह अंडरवाटर मेट्रो यात्रियों का बहुत समय बचाएगी, इस परियोजना का निर्माण कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन कर रही है. इस मेट्रो की लाइन हावड़ा को सेंट्रल कोलकाता के रास्ते साल्ट लेक से जोड़ रही है. इस मेट्रो में यात्रियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र जुड़वां सुरंगें हैं, जो 1.4 मीटर चौड़ी कंक्रीट के छल्ले से बनी हुई हैं. यह सुरंगे लगभग आधा किलोमीटर पानी के नीचे से निकाली जा रही हैं, जिससे यात्रियों को एक पानी के अंदर से गुजरने पर एक अनोखा अनुभव मिलेगा.
आपात की स्थिति में बचाव कैसे होगा?
पानी इन सुरंगों में न जाए, इसके लिए पूरा बंदोबस्त किया जा रहा है. इसके लिए इसे हाइड्रोफिलिक गास्केट से लैस किया गया है. इसके अलावा, भूकंप जैसी आपात स्थिति के लिए सुरंगों में निकास भी बनाया जा रहा है. वहीं, तकनीकी समस्या की स्थिति में यात्रियों के बचाव के लिए विशेष मार्ग बनाए गए हैं. सुरंग के कंक्रीट को फ्लाई ऐश और माइक्रो-सिलिका के साथ तैयार किया गया है, जिससे यह पानी के अंदर इस्तेमाल के योग्य बनती है.