जौनपुर। जन जागरण के अड़सठवें पड़ाव पर वि.ख. रामपुर के भवानीगंज गांव में पंकज महाराज ने जयगुरुदेव सत्संग समारोह में प्रवचन करते हुये कहा सन्तों महात्माओं के सत्संग में नाम की महिमा का बखान किया जाता है और प्रभु की भक्ति के प्रति प्रेम, प्यार, पैदा किया जाता है। किसी की निन्दा आलोचना नहीं की जाती है। अगर मानव शरीर का यह अवसर आपके हाथ से निकल गया तो दोबारा मिलेगा नहीं। बहुत से लोगों ने ‘दिवस गवायां खाय के, रात बिताई सोय। हीरा जनम अमोल था कौड़ी बदले जाय।Ó को अपने जीवन का लक्ष्य बना रखा है। इन कार्यों के करने से मानव जीवन कैसे सफल कर पायेंगे। इसलिये आप सबसे अनुरोध है कि खेती, दुकान, दफ्तर का काम मेहनत, ईमानदारी से करें। उन्होंने बताया ‘कर्म भूत सब जग को लागा, यासे बचै, न कोई जागा।Ó पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा कर्मों का खेल विचित्र है। इससे कोई बच नहीं सकता। इसलिये मानव कर्म, मानव धर्म अपनाने की जरूरत है। मनुष्य का चारित्रिक पतन इस कदर गिर गया है कि रिश्ते-रिश्ते न रहे। इन सबका मूल कारण अशुद्ध आहार और बुद्धि नाषक नशें हैं। मानव सुधार और समाज सुधार के लिये महात्माओं के उपदेषों की बहुत जरूरत है। इस अवसर पर ऋशिदेव श्रीवास्तव, बालेन्द्र मिश्र, कल्लन यादव, बाबूराम यादव, सहयोगी संगत रायबरेली के सतीष सिंह, सन्तषरण यादव आदि मौजूद रहे।
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जयगुरूदेव के अड़सठवें पड़ाव पर पंकज महाराज ने किया जागरूक
