जिस पीलीभीत जिले की आज से तकरीबन एक दशक पहले तक उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिलों में गिनती हुआ करती थी वह आज वैश्विक पटल पर अपनी छाप छोड़ रहा है. पीलीभीत जिले को यह पहचान जंगली जानवरों ने दिलाई हैं. इन जंगली जानवरों के दीदार करने के लिए ही दुनिया भर के पर्यटक पीलीभीत पहुंचते हैं. ऐसे में इको टूरिज्म के साथ ही साथ धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में भी पीलीभीत अपनी पहचान बना रहा है.
दरअसल पीलीभीत जिले की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो पीलीभीत का एक तिहाई हिस्सा वन क्षेत्र है. वहीं पीलीभीत के जंगल तराई के क्षेत्र में स्थित है. तराई क्षेत्र को प्रकृति ने भरपूर संसाधनों से नवाजा हैं. ऐसे में पीलीभीत के जंगल जैव विविधता से भरपूर हैं. पीलीभीत के जंगलों में बंगाल टाइगर पाए जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सन् 2014 में पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया था.
पीटीआर में जंगली जानवरों का आंकड़ा
टाइगर रिजर्व की घोषणा के बाद से ही पीलीभीत में बाघ संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया और पीलीभीत के जंगलों के दरवाजे पर्यटकों के लिए खोले गए. तराई के खूबसूरत बाघों के दीदार के लिए सैलानियों के पीलीभीत आने का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक बदस्तूर जारी है. अगर वर्तमान की बात करें तो पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 73 से अधिक बाघ, 80 से तेंदुए, भालू समेत तमाम तरह के वन्यजीवों की प्रजातियां पाई जाती हैं. वहीं अगर पक्षियों की बात करें तो तराई के इस खूबसूरत हिस्से में 400 से भी अधिक प्रजातियों के खूबसूरत पक्षी पाए जाते हैं.
10 सालों में तेजी से बढ़ा बाघों का कुनबा
अगर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार पीलीभीत टाइगर रिजर्व में सन 2006 में महज 4 बाघ थे. वहीं 2010 में यह संख्या बढ़ कर 14 हो गई थी. 2014 में टाइगर रिजर्व की घोषणा के दौरान यह कुनबा बढ़ कर 25 हो गया था. इसके बाद बेहतरीन सुरक्षा व संरक्षण के दम पर यह संख्या महज 4 सालों में 65 पहुंच गई थी. बीते साल एनटीसीए द्वारा जारी किए गए सन 2022 के आंकड़ों के अनुसार अब 73 से भी अधिक बाघ पीलीभीत टाइगर रिजर्व की शोभा बढ़ा रहे हैं.
आप भी करें पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सैर
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व का पर्यटन सत्र 15 जून तक चलने वाला है. अगर आप भी यहां की सैर का प्लान बना रहे हैं तो आपको फटाफट अपनी बुकिंग पूरी कर लेनी चाहिए. आप बुकिंग के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व की ऑफिशल वेबसाइट http://pilibhittigerreserve.in/ पर लॉग इन कर सकते हैं.