जौनपुर। स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता ने प्रेस वार्ता कर नगर के उत्तरी छोर पर बन रहे नए घाटों को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने दावा किया कि ये घाट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मानकों के विपरीत बनाए जा रहे हैं और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस निर्माण के लिए एनजीटी की अनुमति तक नहीं ली गई। उन्होंने बताया कि मुगलकालीन ऐतिहासिक शाही पुल, जो कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है, उसके दो ताखों को पाथवे बनाकर बंद कर दिया गया है, जिससे मां गोमती की मूल धारा बाधित हो गई है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान जलनिगम व नमामि गंगे परियोजना के अधिकारियों ने जिन प्रमुख नालों (जैसे हनुमान घाट व पंचहटिया) के ट्रैप होने की बात कही थी, वे अभी भी सीधे गोमती नदी में गिर रहे हैं। वहीं, घाट निर्माण के बाद फर्म द्वारा निर्माण मलबा नदी में डाल दिया गया, जिससे नदी की पारिस्थितिकी को भारी नुकसान हो रहा है। हालांकि, इन चिंताओं के बीच जिलाधिकारी डॉ.दिनेश चंद्र सिंह, एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंशु और नगर पालिका चेयरमैन प्रतिनिधि डॉ.रामसूरत मौर्य द्वारा गोमती नदी की डिसिल्टिंग कार्य में किए गए सहयोग को उन्होंने एक सकारात्मक प्रयास बताया। स्वच्छ गोमती अभियान ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इन सभी गंभीर मुद्दों की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। संगठन अगले एक सप्ताह में इस संबंध में विस्तृत ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपेगा।
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गोमती घाट निर्माण पर उठे सवाल, हृत्रञ्ज मानकों की खुली अवहेलना
